श्रावण के महीने को भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है।
धार्मिक ग्रन्थों की माने तो प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव कैलास पर्वत से पृथ्वी पर अपनी ससुराल आते हैं और पूरे महीने अपनी ससुराल में ही रहते हैं। इसीलिए भक्तगण इस महीने में महादेव की पूजा, आराधना का विशेष महत्व होता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु सामर्थ्य अनुसार व्रत, उपवास, पूजन, अभिषेक आदि करते हैं। जिस प्रकार भगवान शिव ने विष पी कर के देवताओं का संकट हर लिया था उसी प्रकार दूध पी कर के भक्तों के संकट हर लेते हैं इस माह में की गई उपासना का विशेष फल भक्तों को प्राप्त होता है।
बारिश के शुरू होते ही क़ुदरत हरा दामन ओढ़ लेती हैं चारो ओर हरियाली ही हरियाली छा जाती हैं। और सबका मन मोहने लगती हैं। वही दूसरी ओर हरियाली में अनेक तरह के कीट पतंगे और जंगली जीव रहने लगते हैं। डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की मानें तो इस मौसम में वायरस और बैक्टीरिया का खतरा कई गुना बढ़ जाता हैं। ऐसे में आपका बीमार होना या आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आना आपके लिए घातक हो सकता हैं ।
इसलिए हमे इस मौसम में हरे पत्तेदार सब्जियों से दूर रहना चाहिए विशेष रुप से पालक को नहीं खाना चाहिए क्योंकि उनमें कीड़े काफी भारी मात्रा में मौजूद होते हैं। इसके अलावा पत्तेदार सब्जियों में कीटनाशकों का प्रयोग भी बहुतायत में होता है, जो बीमारियों की जड़ है।
इसके अतिरिक्त बैगन, मांस और मछली से भी दूर रहना चाहिए, कच्चे दूध का सेवन भी नहीं करना चाहिए । इन महीनों में हरी पत्तेदार सब्जियों में छोटे-छोटे कीड़े होते हैं दूध देने वाली गाय भैंस इत्यादि भी इन दिनों में हरा चारा खाते हैं, इसलिए दूध खूब उबाल कर पीना चाहिए। मछलियां इन दिनों में अंडे देती हैं,इन दिनों में मछलियों के खाने से व्यक्तियों को एलर्जी हो सकती हैं।