उरई (जालौन)। जनपद जालौन में हरी मटर का क्षेत्रफल लगभग 85 हजार हैक्टेयर है, जिसमें 120-140 कुंटल प्रति हैक्टेयर हरी मटर का फली के रूप में पैदावार होती है। जिलाधिकारी चाँदनी सिंह की पहल किसानों की मटर फसल के उचित मूल्य मिलने से किसान होंगे खुशहाल, इसके लिये जनपद में विकास खण्ड डकोर व विकास खण्ड जालौन पर दो किसान उत्पादक संगठन एफपीओ सक्रिय किये गये हैं। जिसमे विकास खंड डकोर के कृषक उत्पादक संगठन डकोर मटर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड से 307 कृषक तथा विकास विकास खंड जालौन के कृषक उत्पादक संगठन जालौन पीस प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड से 301 कृषक जुड़े हैं। प्रदेश में पहला ऐसा जनपद जालौन है जहां पर मटर फसल का उत्पादन सबसे अधिक होता है।
जिला प्रशासन ने किसान कैसे समृद्ध हो इसके लिये कम्पनी आईटीसी, मैसर्स शान्ती शीत गृह प्राइवेट लिमिटेड, राजफ्रोजन, सोनू ट्रेडर्स लखनऊ, भूक्रान्ति आदि से एफपीओ का अनुबन्ध कराया गया। पिछली वर्ष यह देखने को मिला कि किसानों को मटर फसल के उचित दाम नही मिले, साथ ही किसानों का बिचैलियों द्वारा शोषण किया गया जैसे धर्मकांटों पर मटर की फसलों पर अधिक कटौती, कुछ फर्मों द्वारा किसानों की फसल का पैसा लेकर भाग जाना, साथ ही किसानों को अपनी फसल के लिये अपने पास से पल्लेदारी भी देना, किसानों के साथ घटतौली, किसानों को अपनी मटर की फसल के के नगद भुगतान पर 2 प्रतिशत कटौती से जूझना पड़ता था। जिला प्रशासन ने ऐसे सभी प्रथा को समाप्त करने के लिये एफपीओ के साथ कम्पनियों का अनुबन्ध कराया। किसान अपनी मटर फसल एफपीओ के माध्यम से विक्रय करे ताकि बिचैलियों से बचा जा सके। किसान का हक बिचैलिया को को मिलता था अब ऐसा न होकर सीधे किसानों को दो हेक्टेयर जमीन पर लगभग 15 हजार रुपये का अतिरिक्त मुनाफा होगा।
किसानों को एफपीओ के माध्यम से अपनी मटर फसल को विक्रय करने से बिचलियों व घटतौली, अधिक कटौती किसानों को नगद भुगतान पर 2 प्रतिशत की कटौती व पल्लेदारी जैसी सभी समस्याओं से निजात किसानों को मिलने जा रही हैं साथ ही किसानों का 24-72 घंटे में भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा। जिला प्रशासन ने खरीद केंद्रों पर सतत निगरानी रखने के लिए एक समिति का भी गठन किया है। शासन की मंशा है कि किसान समृद्ध हो और किसानों की आय आय को दोगुना करने के लिए हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं। किसानों की समस्या के निराकरण के के लिये जिला प्रशासन तत्पर हैं।