इन दिनों बाबा रामदेव चर्चा में हैं,लेकिन यह चर्चा उनके योग को लेकर नहीं उस अभियोग के कारण है जो आईएमए (IMA) नामक संस्था ने उन पर लगाया है और उसके कारण उन पर सुप्रीम कोर्ट सख़्त है।
बिना शर्त माफ़ी माँगने के वावजूद भी मी लॉर्ड महोदय के ह्रदय को संतोष नहीं है, मीडिया का एक धड़ा तमाम सनसनी के समाचार छाप रहा है और चैनल्स हैडलाइन दिखा रहे हैं – बाबा को पड़ी सुप्रीम फटकार,सुप्रीम कोर्ट ने उड़ाई रामदेव की धज्जियाँ….
कुछ लोग मीम बनाने में लगे हैं बाबा का यूटर्न आसन। मतलब एक ऐसा माहौल दिखाया जा रहा है जैसे बाबा ने कोई देशद्रोह कर दिया हो!
मामला क्या है? पतंजलि पर भ्रामक प्रचार का आरोप लगाया आई एम ए ने और कोर्ट ने अवमानना का!
आईएमए का कहना है कि बाबा ने कॉरोना के दौरान कॉरोना के इलाज का दावा किया साथ ही वह उन असाध्य रोगों के इलाज की बात कर आम आदमी को भ्रमित कर रहे हैं जिनका इलाज सम्भव नहीं है! इसका आधार बनाया है 1954 के उस ड्रग एंड रेमेडीज एक्ट को जो 54 बीमारियों की एक लिस्ट देता है और कहता है इनके इलाज का दावा करना दंडनीय अपराध है।
आईएमए एक स्वतंत्र संस्था (NGO) है जो देश के अंग्रेज़ी पद्धति से इलाज करने वालों डॉक्टरों का संगठन है जिसका उद्देश्य अधिक से अधिक मुनाफ़ा कमाने का है!
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बाबा रामदेव तभी से खटक रहे थे इनको जब से उन्होंने भारतीय चिकित्सा पद्धति और स्वदेशी का व्यापक प्रचार कर उसको एक बड़ा मुक़ाम देकर इन लुटेरों की चूलें हिलाना शुरु कर दी थी!
यह मामला न तो आम आदमी के स्वस्थ्य की फ़िक्र का है और न ही अवमानना का! असल वजह कुछ और लगती है! अन्यथा जन स्वास्थ्य की फ़िक्र करने वाले यह सब माननीय उन विज्ञापनों क्यों चुप हैं जो मलिटीवेशनल कम्पनियाँ (MNC)चलवा रहीं हैं? WHO द्वारा प्रतिबंधित दवाइयाँ क्यों लिखी जा रहीं हैं देश के अंग्रेज़ी डॉक्टरों द्वारा?
असल मामला लाखों करोड़ के व्यापार का है जो दवा माफिया ताक़तें चला रहीं हैं देश में और आम आदमी का रक्त चूषण कर रही हैं! पतंजलि ने कई असाध्य बीमारियों का जड़ से इलाज कर इनके व्यापार को घाटा पहुँचाया है बस मामला पूरा यही है!
मुझे लगता है कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिए कि उस क़ानून की समीक्षकों संशोधन की ज़रूरत है क्योंकि जिन बीमारियों का अंग्रेज़ी चिकित्सा पद्धति में जड़ से ख़त्म करने का इलाज नहीं, वह हमारी आयुर्वेद पद्धति में क्यूरेबिल है!
चूँकि कोर्ट क़ानून से चलता है और क़ानून में इन बीमारियों के इलाज का दावा करना अपराध है सो तकनीकी रूप से तो कोर्ट सही है, लेकिन किसी न किसी लॉबी से प्रभावित प्रतीत होता है, अन्यथा प्रशांत भूषण की अवमानना को एक रुपया में माफ़ करने वाले महामहिम बाबा रामदेव पर इतने निष्ठुर न होते!
देशवासियों को किसी भ्रम का शिकार न होते हुए विचार करने की ज़रूरत!
राजू शर्मा नौटा