किसके संरक्षण में फलफूल रहा मप्र से ओवरलोड मौरम ढुलाई का धंधा

उरई (जालौन)। मप्र से ओवरलोड मौरम भरे वाहनों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। आलम यह है कि अब मप्र से जो भी वाहन ओवरलोड मौरम भरकर आ रहे हैं वह मौरम को तिरपाल से ढाककर लेकर आ रहे है। बंगरा तिराहे पर भोर के तीन बजे से ही सुरक्षित ओवरलोड वाहनों की निकासी कराने के लिये रैकी का काम शुरू हो जाता है। जब तक जिम्मेदार अधिकारी नींद से जागते हैं तब तक ओवरलोड मौरम भरा वाहन जनपद की सीमा से सहजता से निकल जाता है।

पिछले वर्ष जिला प्रशासन द्वारा मप्र से आने वाले ओवरलोड व बगैर एमएम 11 के मौरम भरे वाहनों की धरपकड़ का अभियान चलाया तो तीन दर्जन से अधिक वाहन पकड़े गये थे। जिन्हें सीज कर दिया गया थ। लेकिन अब रात्रि होते ही मप्र से ओवरलोड मौरम का धंधा फिर से शुरू हो गया हैं। मौरम माफिया ने कई स्थानों पर अधिकारियों की रैकी करने के लिये अपने गुर्गों को जिम्मेदारी सौंपी है जो भोर के 3 बजे अपने आवासों से निकलकर बंगरा तिराहे पर खड़े नजर आते हैं।

सूत्रों की मानें तो ओवरलोड मौरम भरे वाहनों की सुरक्षित निकासी के लिये बंगरा पुलिस चैकी की मिलीभगत होने की चर्चायें आमजन की जुबान से सुनी जा रही है। ताज्जुब की बात तो यह है कि जब बंगरा तिराहे पर चैबीस घंटे पुलिस पिकेट तैनात रहती है फिर भी ओवरलोड वाहनों के सुरक्षित गंतव्य स्थानों की ओर निकल जाना कम आश्चर्यजनक काम नहीं हैं। ओवरलोड मौरम भरे वाहनों को रोकने की हिम्मत बंगरा पुलिस चैकी क्यों नहीं जुटा पा रही है इस बारे में तो बंगरा पुलिस चैकी प्रभारी ही अच्छी तरह से बता पायेंगे।

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