राज्य परिवार नियोजन सेवा अभिनिवीकरण परियोजना एजेंसी (सिफ्सा) का आज बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ श्रवण कुमार उपनिदेशक महिला कल्याण विभाग ने मां सरस्वती की पुष्प अर्पित कर किया गया। उपनिदेशक, महिला कल्याण विभाग श्रवण कुमार ने सिफ्सा की कार्यशाला को संबोधित करते हुए बताया कि बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र में बाल विवाह का प्रचलन बहुत है इस समय देश की जनसँख्या प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। इस समय महिला सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकार द्वारा डायल 112, 181, 1092 और 1098 जैसी सुविधाए दे रही है।
आनंद चौवे ने सिफ्सा की कार्यशाला को संबोधित करते हुए बताया कि राष्ट्रीय सेवा योजना मूल वाक्य है स्वयं से पहले आप उन्होंने बताया कि शारीरिक स्वास्थ्य होना ही स्वास्थ्य नहीं है सोशल और मेंटल स्वास्थ्य होना जरुरी है। सिफ्सा में पियर एजुकेटर में छात्रों के आत्म निर्भर पर चर्चा की।
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डॉ यतेन्द्र मिश्रा समाज कार्य ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा स्वास्थ्य होने के लिए आपको शारीरिक, मेंटल, सोशल और अध्यात्मिक रूप से स्वास्थ्य होना जरुरी है। उन्होंने बताया की स्वास्थ्य रहने के लिए पोषक आहार का सेवन जरुरी है जिससे कुपोषित और बीमारी से बचा जा सकता है।
इसी क्रम में डॉ शिवांनी निगम ने छात्रों के अच्छे सवास्थ्य के लिए अच्छे भोजन का पर चर्चा की और बताया कि शारीर को स्वास्थ्य रखने के लिए पोषण तत्वों का भरपूर मात्रा में उपयोग करना चाहिए स्वास्थ्य शारीर से स्वास्थ्य मस्तिष्क का निर्माण होता है।
डॉ स्वेता पाण्डेय ने बताया कि इस कार्यशाला में सिफ्सा बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के 25 पियर एजुकेटर और 35 विश्वविद्यालय के अन्य विद्यार्थी प्रतिभाग किया। कार्यशाला में स्वास्थ्य और स्वच्छता, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल, परिवार नियोजन, एड्स जागरूकता, किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक एवं मानसिक बदलाव जैसे विषयों पर चर्चा की।
कार्यक्रम के अंत में डॉ उमेश कुमार ने आये हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया और छात्रों को बताया कि जीवन में छात्र जब किशोरवस्था में सभी के शारीरिक बदलाव होते है जैसे विवाह के परिवर्तन, भोजन पोषण और कुपोषण के शिकार भी इसी अवस्था में होते है।