अद्भुत ही नहीं नेकचंद की नेकदिली का प्रतीक है रॉक गार्डन

फ्रांस के वास्तुकार ली कॉरबिजीयर ने तैयार किया था चंडीगढ़  डिजाइन


उस समय इस ‘खूबसूरत शहर’ का डिजाइन फ्रांस के वास्तुकार ली कॉरबिजीयर तैयार कर रहे थे. नेकचंद ने लोगों द्वारा फेंके जाने वाले कचरे से कलात्मक कृतियां बनाने की कला ईजाद की और उत्तरी चंडीगढ़ के वन क्षेत्र में चुपचाप अपनी प्रयोगशाला बनाई, ताकि वह अपनी रचनाओं को आकार दे सकें.
उन्हें 1984 में पद्मश्री से नावाजा गया, लेकिन नेकचंद फाउंडेशन का मानना है कि भारतीय कला जगत में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें और उच्च सम्मान से नवाजा जाना चाहिए. नेकचंद की कलाकृतियों में टूटी हुई चूड़ि मिट्टी के बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक स्विच, प्लग, ट्यूब लाइट, मार्बल, टाइल्स, घरों में बेकार पड़े सामान, पत्थर, भवन निर्माण सामग्री तथा अन्य चीजों को भी शामिल किया गया.
18 साल के कठिन परिश्रम से बनाया विश्व प्रसिद्ध रॉक गार्डन

भारत के मशहूर रॉक आर्टिस्ट नेकचंद ने अपशिष्ट पदार्थ से करीब 40 एकड़ में इस अद्भुत गार्डन को बना कर तैयार किया था। रॉक आर्टिस्ट नेकचंद ने 1957 में यह नेक पहल की। करीब 18 साल के कठिन परिश्रम के बाद इस विश्वप्रसिद्ध वर्ल्ड फेमस रॉक गार्डन को तैयार कर सके
क्या है चंडीगढ़ की शान और पहचान

चंडीगढ़ की पहचान और चंडीगढ़ की शान यहां का Rock Garden दुनिया के सबसे ज्यादा प्रसिद्ध गार्डन्स में शुमार है। हिंदुस्तान के मशहूर रॉक आर्टिस्ट नेकचंद ने अपशिष्ट पदार्थों से करीब 40 एकड़ में इस में गार्डन को तैयार किया था। नेकचंद ने 1957 में यह नेक पहल की। करीब 18 साल के अथक प्रयास के बाद इस विश्वप्रसिद्ध Rock Garden को तैयार कर सके।
कौन थे नेक चंद्र
पंजाब के रहने वाले नेकचंद ने लोकनिर्माण विभाग में 1951 में सड़क निरीक्षक के तौर पर काम करते हुए प्रसिद्ध सुखना झील के निकट जंगल के एक छोटे से हिस्से को साफ करके औद्योगिक और शहरी कचरे की मदद से वहां एक बगीचा सजाकर लोगों को एक अनूठी जादुई दुनिया से रूबरू कराया था, जिसे आज हम रॉक गार्डन के नाम से जानते हैं। इस गार्डन का उद्घाटन सन 1976 में किया गया था।
नेकचंद्र के कढ़ी मेहनत कैसे रंग लाई

नेकचंद अपने खाली समय में साइकिल पर बैठकर बेकार पड़ी ट्यूब लाइट्स, टूटी-फूटी चूड़ियों, प्लेट, चीनी के कप, फ्लश की सीट, बोतल के ढक्कन और अलग-अलग तरह के कचरे बीनते और उन्हें यहां सेक्टर-1 में जमा करते रहते। वह इस कचरे से कलाकृतियां बनाना चाहते थे। उन्होंने अपनी सोच को आकार देने के लिए इन सामग्रियों को रिसाइकल करने की योजना बनाई और इसके फिर वह रोज रात को गुपचुप तरीके से साइकल पर सवार होकर जंगल के लिए निकल जाते। यह सिलसिला करीब 2 दशक तक चला। आखिरकार नेकचंद की परिकल्पना ने रॉक गार्डन के रूप में आकार ले लिया।
पंजाब और हरियाणा सरकार के कई नेताओं ने इसे अवैध निर्माण बताया
उस वक्त कई राजनेताओं ने इस गार्डन को अवैध निर्माण बताकर गिराने की भी कोशिश की, लेकिन ऐसा हो न सका । नेकचंद की नेकदिली की जीत हुई ,इस नेकदिली ने नेकचन्द्र को वो सम्मान दिलाया जिसके नेकचद्र हकदार थे इसी नेकदिली के लिए इस रॉक गार्डन का नाम भी नेक चंद्र रॉक गार्डन के रूप में जाना जाता है।
बिजली के अपशिष्ट पदार्थों से बनी है यहां की दीवारे।

रॉक गार्डन में आपको ऐसी चीजें देखने को मिलेंगी, जिन्हें देखकर आपको लगेगा कि इन चीजों को आप कई बार कबाड़े में फेंक देते हैं। इन्हीं वेस्ट मटीरियल से पूरे रॉक गार्डन को तैयार किया गया है। इसी तरह यहां एक ऊंची सी दीवार है, जिसे इलेक्ट्रिकल वेस्ट में निकलने वाली चीजों से तैयार किया गया है।
विदेशी म्जूजियम में मिला है स्थान
नेक चंद की अनूठी कला को वॉशिंगटन के नैशनल चिल्ड्रेन म्यूजियम समेत विदेश में कई संग्रहालयों में प्रदर्शित किया गया है। यहां चीन की टेराकोटा आर्मी की प्रतिमूर्ति भी तैयार की गई हैं। इसके अलावा यहां की कलाकृतियों में आपको आदिकाल की सभ्यता के नमूने भी देखने को मिलेंगे।

टूटे हुए कप और तश्तरियों से बनाई गयी मॉडल्स
बेकार ट्यूब लाइट्स से बनाई गई दीवार के सामने खड़ी, टूटे हुए कप
और तश्तरियों से बनाई गयी मॉडल्स की सेना आपको अपने पास
बुलाएगी। टूटे हुए कांच के कंगनों से बनाई गई गुड़ियों को देखकर
लगेगा कि मानों ये अभी डांस करने वाली हैं। देखने में भले आपको लग सकता है कि इनको बनाना बहुत आसान है लेकिन अगर ध्यान से देखा जाए तो इन्हें बनाने में कड़ी मेहनत, लगन और धैर्य की बहुत जरूरत होती है।
रॉक गार्डन के खुलने का समय और एंट्री फीस
चंडीगढ़ के मुख्य शहर में स्थित यह गार्डन सुबह 9 बजे खुल जाता है। पर्यटकों के लिए इस गार्डन को शाम को 7 बजे तक खोलकर रखा जाता है। सर्दियों में इसे शाम को 6 बजे तक खोलकर रखा जाता है। एंट्री फीस के तौर पर व्यस्कों के लिए 30 रुपये और बच्चों के लिए 10 रुपये शुल्क है। जबकि पहले यह किराया क्रमश: 20 और पांच रुपये लगता था।
कैसे पहुंचें
चंडीगढ़ में यह यह सुखना झील के निकट स्थित है। यहां तक आप रेल, हवाई यातायात और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां पहुंचने के बाद आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट या फिर अपनी टैक्सी बुक करके रॉक गार्डन पहुंच सकते हैं।

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