दरगाह पर काबिज होने से रोकने के लिए लोग होने लगे लामबंद

कोंच (जालौन)। नगर की सुप्रसिद्ध सूफी दरगाह आस्ताना-ए-कलंदरिया पर दावा ठोक रही वक्फ बोर्ड द्वारा नियुक्त एक तथाकथित कमिटी को दरगाह पर काबिज होने से रोकने के लिए अब लोग लामबंद हो गए हैं। शहर काजी वशीरउद्दीन ने कहा है कि यह दरगाह की अस्मिता की लड़ाई है, बाहरी तत्वों को इससे दूर रखने के लिए हर मुमकिन लड़ाई लड़ी जाएगी और ये लड़ाई सभी को मिलजुल कर लड़नी होगी।

जवाहर नगर में चंदेलकालीन ऐतिहासिक सागर तालाब पश्चिमोत्तर तट पर स्थित छह सौ वर्ष पुरानी सुप्रसिद्ध दरगाह आस्ताना-ए-कलंदरिया इन दिनों संक्रमण के दौर से गुजर रही है। इसकी वजह वक्फ बोर्ड द्वारा नियुक्त एक पांच सदस्यीय कमिटी है जो दरगाह के प्रबंधन पर काबिज होने के लिए हाथ पांव मार रही है। हालांकि इस कमिटी में फूट पड़ गई है और इसके एक सदस्य ने हलफनामा देकर कमिटी को फर्जी करार देते हुए इससे किनारा कर लिया है लेकिन अन्य सदस्य इस जुगत में लगे हैं कि किसी तरह दरगाह पर कब्जा कर सकें। इस तथाकथित कमिटी को दरगाह के आसपास भी नहीं फटकने देने के लिए नगर के मुस्लिम गोलबंद हैं।

दरगाह पर बुलाई गई आपातकालीन बैठक में सदारत करते हुए शहर काजी वशीरउद्दीन ने कहा है कि इस दरगाह में सैकड़ों सालों से गुरु शिष्य परंपरा के मुताबिक सज्जादानशीन को बिठाया जाता रहा है और मौजूदा दसवें सज्जादानशीन हाजी मियां आरिफ अली शाह भी इसी परंपरा से बनाए गए हैं। इस दरगाह की कभी कोई कमिटी नहीं रही है और न ही किसी तथाकथित कमिटी को यहां काबिज होने देंगे। बैठक में मौजूद सैकड़ों लोगों ने काजी की इस बात का पुरजोर समर्थन करते हुए हर संघर्ष में साथ देने की हामी भरी। दरगाह के सज्जादानशीन मियां आरिफ अली शाह ने सभी का आभार जताते हुए कहा, उक्त तथाकथित कमिटी की निगाहें दरगाह की संपत्ति पर हैं, इस कमिटी को दरगाह से दूर रखने के लिए सभी के सहयोग की जरूरत है। इस दौरान हाजी मोहम्मद अहमद, सदर ईदगाह शमशाद अली, हाजी रहम इलाही कुरैशी, तआरुफ हुसैन, अहमद खां, हिलाल अहमद, मोहम्मद उमर, अतीक अहमद शेखू, पप्पू खान, कमरुद्दीन मंसूरी, रज्जन बेग, शमशुद्दीन, पीर मोहम्मद, फकीरे, बबलू सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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