महोबा। वीर भूमि या आल्हा-ऊदल की नगरी महोबा में पर्यटन विकास को लेकर कवायद शुरू कर दी गई है। महोबा को बुंदेलखंड के टूरिज्म सर्किट से जोड़ा गया है। पर्यटन विभाग ने महोबा की टूरिज्म यात्रा को जादुई अनुभव बताया है।
पर्यटन विभाग बुंदेलखंड में टूरिज्म सर्किट विकसित करने को लेकर गंभीर है। इसमें महोबा जिला अहम होगा। पर्यटन विभाग ने महोबा पर्यटन महत्व, यहां की धरोहरों व इसके इतिहास की जानकारी अपनी वेबसाइट पर भी दर्शा दी है। इसमें बताया गया है कि यह छोटा सा शहर एक-दूसरे से जुड़ी सात झीलों, पहाड़ियों और घाटियों पर स्थित मंदिरों के लिए जाना जाता है। चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित अभेद्य पहाड़ी किला और झीलें उस जमाने की इंजीनियरिंग की कला हैं। गाथागीत इसके गौरव के दिनों की प्रशंसा करते हैं और अपनी भूमि के सम्मान के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले दो महान योद्धा भाई आल्हा और उदल की प्रेरक गाथा सुनाते हैं। रहेलिया स्थित सूर्यमंदिर नौवीं शताब्दी की एक अद्वितीय ग्रेनाइट संरचना है। इसकी मूल स्थापत्य योजना खजुराहो में पाए जाने वाले मंदिरों के समान है। यहां का रोमांच और जादू आज भी जिंदा है।
साहित्यकार संतोष पटैरिया, समाजसेवी शिवकुमार गोस्वामी,आल्हा मंच के अध्यक्ष शरद तिवारी दाऊ का कहना है कि पर्यटन विभाग की टूरिज्म सर्किट विकसित करने की पहल महोबा के पर्यटन विकास में मील का पत्थर साबित होगी। चंदेलकालीन धरोहरों के साथ ही बुंदेलखंड के कश्मीर चरखारी में स्थित सप्त सरोवरों के दिन भी बहुरेंगे। यहां पर्यटकों के आने की संख्या बढ़ेगी।
रिपोर्ट – अनिल कुमार महोबा