एक दो नहीं इतनी रियासतों का केंद्र बुंदेलखंड की ये 181 साल पुरानी छावनी

ब्रिटिश शासन ने बुंदेलखंड क्षेत्र पर अपना नियंत्रण बनाए रखने के लिए नौगांव को पॉलिटिकल एजेंट कार्यालय के चुना। भारी संख्या में अंग्रेजी सेनाओं का नौगांव में जमावड़ा किया गया, जिसके कारण नौगांव की पहचान छावनी के रूप में रही, आज भी पुराने वयोवृद्ध लोग नौगांव को छावनी ही पुकारते हैं।

ब्रिटिश शासन के अफसर मिस्टर डब्ल्यू एस सिलीमेन ने 1861 में विशाल भवन का निर्माण कराया, जहां से बुंदेलखंड की छोटी बड़ी 36 रियासतों का संचालन और नियंत्रण होता था। यह भवन कभी बुंदेलखंड क्षेत्र की सबसे सुंदर व आकर्षण भवनों में सुमार था और क्षेत्र की शान हुआ करता था। यहां बैठकर ब्रिटिश शासन का पॉलिटिकल एजेंट बुंदेलखंड क्षेत्र की 36 रियासतों का संचालन करता था, हर महीने छोटे बड़े राजाओं, जमींदारों का मीटिंग पॉलिटिकल एजेंट लेता था।

आजादी के बाद विंध्यप्रदेश बना और नौगांव को राजधानी बनाया गया, बाद में इस भवन में कमिश्नर कार्यालय संचालित किया गया। सैकड़ों वर्षों के इतिहास को अपने अंदर समेटे यह अति महत्वपूर्ण भवन आज प्रशासनिक उपेक्षा के चलते खंडहर में तब्दील हो रहा है और अपने अस्तित्व के लिए जद्दोजहद कर रहा है।

नौगांव नगर की स्थापना सन 1842 में अंग्रेजी हुकूमत के मिस्टर डब्ल्यू एस सिलीमेन ने एक बिग्रेड सेना के सैनिकों के ठहरने के लिए नौगांव छावनी के नाम से की थी। देशी 36 रियासतों के बीच में होने के कारण अंग्रेजी अफसरों ने इस जगह सबसे पहले नगर का नाम नौगांव छावनी रखा। सन 1841 में जैतपुर बेलाताल की रियासत में महाराज पारीक्षत का शासन था। सन 1842 में ब्रिटिश अफसर सिलीमेन ने जैतपुर बेलाताल की रियासत में नयागांव, दूल्हा बाबा मैदान और जैतपुर बेलाताल पर आक्रमण कर महाराज पारीक्षत को पराजित बेलाताल को अपने अधीन कर लिया। इस तरह से अब अंग्रेजी हुकूमत 36 रियासतों तक फ़ैल गई। जिसके लिए छतरपुर के राजा प्रताप सिंह से 19 हजार वार्षिक किराए पर कुछ जमीन ली। इस जमीन पर अंग्रेजी अफसर डब्ल्यू एस सिलीमेन ने सन 1842 से सन 1861 तक सेना की एक टुकड़ी को इसी जमीन पर तम्बू तानकर रखा।

नौगांव नगर का इतिहास आज से लगभग 181 वर्ष पुराना है, इसका ऐतिहासिक गवाह है नगर में 1861 में बना यह पहला भवन है। जहां बैठकर अंग्रेजी शासक पन्ना, अजयगढ़, सरीला, दतिया, चरखारी, बिजावर, छतरपुर, लुगासी, अलीपुरा, ओरछा, गौरिहार, नागौद, मैहर, समथर, गर्रोली जैसी छोटी बड़ी 36 रियासतों पर नियंत्रण करते थे और लगान वसूलते थे। आजादी के बाद कुछ सालों तक यहां कमिश्नरी लगी, बाद में कमिश्नरी रीवा चली गई।

ब्रिटिश शासन द्वारा 181 वर्ष पहले बनाएं गए भवन हमारे इतिहास को अपने आगोस में समेटे हुए है। जहां से 36 रियासतों का एक साथ संचालन नियंत्रण होता था, वह भवन अति महत्वपूर्ण है और इतिहास का एक अहम अंग ही नहीं अपितु अंग्रेजी हुकूमत की दादागिरी, ज्यादती की जीती जागती गवाह भी है।

नौगांव स्‍मार्ट सिटी-

देश का पहला स्‍मार्ट सिटी था नौगांव जिसकी परिकल्‍पना ब्रिटेन में की गई थी। तब ब्रिटेन के इंजीनियरों ने भारत का सर्वे किया था और नौगांव शहर को स्‍मार्ट सिटी के रूप में चुना गया तथा नौगांव का मैप ब्रिटेन में ही तैयार किया गया। उस समय यहां पर 192 चौराहे थे, वर्तमान में यहां पर 300 से भी ज्‍यादा चौराहे है। उस समय इस शहर को मिनी चंडीगढ कहा जाता था।

ब्रिटिश शासन की चर्च, जहां अंग्रेज शासक आराधना करते थे।

आर्मी कॉलेज रोड पर सेंट पीटर रोमन कैथोलिक चर्च का निर्माण 1869 में सिटी चर्च का निर्माण 1905 में, नौगांव नगर के निवासी अंग्रेज हुकूमत द्वारा बनवायीं इमारतों का प्रयोग आज भी करते है। ब्रिटिश शासन की जेल, वर्तमान में पॉलीटैक्निक कॉलेज की कार्यशाला बन गई।

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