चौधरी चरण सिंह जो राजनीति के थे असली चौधरी

चौधरी चरण सिंह सिर्फ़ एक राजनीतिज्ञ, एक किसान नेता, एक पार्टी के अध्यक्ष और एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री का नाम ही नहीं था, चरण सिंह एक विचारधारा का भी नाम था.

किसान नेता चौधरी चरण सिंह की राजनीति में कोई दुराव या कोई कपट नहीं था, बल्कि जो उन्हें अच्छा लगता था, उसे वो ताल ठोक कर अच्छा कहते थे, और जो उन्हें बुरा लगता था, उसे कहने में उन्होंने कोई गुरेज़ भी नहीं किया.

बीबीसी के वरिष्ठ पत्रकार क़ुरबान अली जिन्होंने उनके व्यक्तित्व को बहुत नज़दीक से देखा है, बताते हैं, ”उनका बहुत रौबीला व्यक्तित्व होता था, जिनके सामने लोगों की बोलने की हिम्मत नहीं पड़ती थी. उनके चेहरे पर हमेशा पुख़्तगी होती थी. हमेशा संजीदा गुफ़्तगू करते थे. बहुत कम मुस्कुराते थे. मैं समझता हूँ एकआध लोगों ने ही उन्हें कभी कहकहा लगाते हुए देखा होगा. वो उसूलों के पाबंद थे और बहुत साफ़-सुथरी राजनीति करते थे.”

वो बताते हैं, ”राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान वो महात्मा गाँधी और कांग्रेस की मिट्टी में तपे. 1937 से लेकर 1977 तक वो छपरौली – बागपत क्षेत्र से लगातार विधायक रहे. प्रधानमंत्री बनने के बावजूद मैंने कभी नहीं देखा कि उनके साथ किसी तरह का कोई लाव – लश्कर चलता हो.”

”वो मामूली सी एंबेसडर कार में चला करते थे. वो जहाज़ पर उड़ने के ख़िलाफ़ थे और प्रधानमंत्री होने के बावजूद लखनऊ ट्रेन से जाया करते थे. अगर घर में कोई अतिरिक्त बल्ब जला हुआ है तो वो डांटते थे कि इसे तुरंत बंद करो. मैं कहूंगा कि चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनीति के ऐसे व्यक्तित्व थे, जिन्होंने न्यूनतम लिया और अधिकतम दिया.”

कोर्टपीस खेलने के शौकीन

चौधरी चरण सिंह से लोगों का रिश्ता दो तरह का हो सकता था – या तो आप उनसे नफ़रत कर सकते थे या असीम प्यार. बदले में आपको भी या तो बेहद ग़ुस्सा मिलता था या अगाध स्नेह. उनका व्यवहार कांच की तरह पारदर्शी और ठेठ देहाती बुज़ुर्गों जैसा हुआ करता था.  कबीर के कितने ही दोहे उन्हें याद थे. वो धोती और देसी लिबास पहनते थे और एक पुरानी ‘एचएमटी’ घड़ी बाँधते थे, वो भी उल्टी. वो सौ फ़ीसदी शाकाहारी थे. तंबाकू और सिगरेट के सेवन का कोई सवाल ही नहीं था.”

हर्ष सिंह लोहित बताते हैं, ”अगर वो जानते हों कि आपका शराब से कोई ताल्लुक है तो आपकी और उनकी कभी बात हो नहीं सकती थी. जब भी कोई उनके घर आता था, वो अदब से उनको छोड़ने उनकी गाड़ी तक जाया करते थे और जब तक गाड़ी चल नहीं देती थी, वो वहीं खड़े रहते थे. कई बार तो ऐसा होता था कि कोई गाँव से आया हो, चाहे वो हमारा जानकार हो या नहीं, वो उसे अपनी गाड़ी से स्टेशन छुड़वाया करते थे. दिल्ली में वो तुग़लक रोड पर रहा करते थे.”

वो कहते हैं, ”हमारे पिता सरकारी मुलाज़िम थे और राममनोहर लोहिया अस्पताल के मेडिकल सुपरिनटेंडेंट हुआ करते थे. हम लोग लोदी स्टेट में रहा करते थे और हम लोगों के घरों के बीच दस मिनट की दूरी हुआ करती थी. वो अक्सर हमारे माता पिता को अपने घर बुला लेते थे और एक ज़माने में दिल्ली विश्वविद्यालय के उप कुलपति रहे डॉक्टर सरूप सिंह और ये सब मिलकर कोर्ट पीस खेला करते थे. शाम को घंटा डेढ़ घंटा कोर्ट पीस और हंसी मज़ाक- यही उनका तनाव को कम करने का तरीका होता था.

रोते हुए छोड़ी थी कांग्रेस

लगातार 40 सालों कर कांग्रेस पार्टी का सदस्य रहने के बाद उन्होंने 1967 में पार्टी से इस्तीफ़ा दिया और एक साल बाद भारतीय क्रांति दल का गठन किया था. चौधरी चरण सिंह. 1946 में वो संसदीय सचिव हो गए जिसका कि मंत्री का दर्ज़ा होता था. उसके बाद वो लगातार कैबिनेट मंत्री रहे. जब सुचेता कृपलानी मुख्यमंत्री हुईं तो उन्हें लगा कि शायद उन्हें पीछे छोड़ा जा रहा है. उसी वक़्त ग़ैर-कांग्रेसवाद की राजनीति शुरू हुई. कांग्रेस के सी बी गुप्ता ने सरकार बना ली. उस वक्त सोचा गया कि अगर कांग्रेस का कोई नेता टूट कर आ जाए 10-12 विधायकों के साथ , तो एक ग़ैर-कांग्रेसी सरकार बनाई जा सकती है.”

भारतीय संसद की वो बुलंद आवाज़ वो बताते हैं, ”जब इनसे स्थानीय विपक्षी नेताओं ने बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे तुम पर विश्वास नहीं है. तुम अपने केंद्रीय नेताओं से मेरी बात कराओ. तब इनकी राम मनोहर लोहिया और अटल बिहारी वाजपेई से बात कराई गई. उन्होंने कहा चौधरी साहब आप हिम्मत करिए और कांग्रेस छोड़िए. हम आपको मुख्यमंत्री बनाएंगे.”

”जब 1 अप्रैल, 1967 को उन्होंने कांग्रेस छोड़ी तो उन्होंने ज़ारोक़तार रोते हुए भाषण दिया कि सारी उम्र उन्होंने कांग्रेस संस्कृति में बिताई है. अब उसे छोड़ते हुए उन्हें बहुत तकलीफ़ हो रही है. दो दिन बाद चौधरी साहब ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में पहली ग़ैर कांग्रेस सरकार बनी जो अद्भुत सरकार थी, जिसमें जनसंघ भी थी, सोशलिस्ट भी थी, प्रजा सोशलिस्ट भी थी, कम्यूनिस्ट भी थे और स्वतंत्र पार्टी भी थी.”

इंदिरा गांधी को कराया गिरफ़्तार

चरण सिंह ने जब गृह मंत्री के तौर पर इंदिरा गाँधी को गिरफ़्तार करने के आदेश दिए तो उस पर भी कई सवाल उठाए गए. अगले ही दिन मजिस्ट्रेट ने उनकी रिहाई के आदेश दे दिए. इंदिरा गाँधी के ख़िलाफ़ उनका पूर्वाग्रह तो पहले दिन से ही था. उनका मानना था कि जिस तरह इंदिरा गाँधी ने आपातकाल के दौरान एक लाख लोगों को फ़र्ज़ी मुक़दमें लगा कर जेल में बंद कर दिया था, उसी तरह से इंदिरा गाँधी को भी जेल में बंद किया जाना चाहिए.

”एक बार उन्होंने इतनी सख़्त बात कही कि मैं तो चाहता हूँ कि इंदिरा गाँधी को क्नॉट प्लेस में खड़ा कर कोड़े लगवाए जाएं. लोग उन्हें समझाते भी थे कि लोकतंत्र में सबसे बड़ी सज़ा होती है कि जनता किसी व्यक्ति को चुनाव में हरा दे. जनता ने उनके ख़िलाफ़ अपना फ़ैसला सुना दिया है. लेकिन अगर आप उन्हें और तंग करेंगे तो इसका राजनीतिक लाभ उन्हें मिलेगा. इस मामले में मोरारजी देसाई भी उनके साथ थे. उन्होंने शाह कमीशन बनवाया. शाह कमीशन में इंदिरा गांधी के ख़िलाफ़ रोज़ गवाहियाँ और बयानात होते थे. आख़िरकार उन्होंने इंदिरा गाँधी को जेल भिजवा कर ही दम लिया.”

सरकार बनाने के लिए कांग्रेस का सहारा

चरण सिंह की उस समय भी बहुत किरकिरी हुई जब उन्होंने जनता पार्टी टूटने के बाद सरकार बनाने के लिए कांग्रेस का सहारा लिया, जिसने कुछ दिनों बाद ही उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया.

क़ुरबान अली कहते हैं, ”ये तो उनका बहुत ही बचपना था. उस समय संजय गाँधी सक्रिय थे. जनता पार्टी को पूरी तरह से तोड़ना उनका मक़सद था. राजनारायण तो पहले ही जनता पार्टी से निकाल दिए गए थे. चौधरी साहब तो वापस ले लिए गए, लेकिन जब राजनारायण को वापस लेने की बात आई तो मोरारजी देसाई ने साफ़ इंकार कर दिया. उनकी जगह रवि राय को ला कर स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया. राजनारायण बहुत विध्वंसक राजनीति करते थे.”

वो बताते हैं, ”जनता पार्टी में झगड़े बहुत बढ़ रहे थे, एक दूसरे के ख़िलाफ़ लेख लिखे जा रहे थे और रोज़ अनुशासनहीनता बढ़ रही थी, लेकिन चौधरी साहब ने आख़िरी वक़्त तक इन सबसे अपनेआप को अलग रखा. वो जनता पार्टी से इस्तीफ़ा देने वाले आख़िरी व्यक्ति थे. जब तक उनके साथ 82 सांसद इकट्ठा नहीं हो गए, उन्होंने इस्तीफ़ा नहीं दिया. इस्तीफ़ा देने के बाद उन्होंने कांग्रेस के दोनों धड़ों के समर्थन को ‘टेकेन फ़ॉर ग्रांटेड’ लिया.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights