उप्र साहित्य सभा के अनुज अध्यक्ष, संजीव को महासचिव का दायित्व

उरई (जालौन)। उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के अध्यक्ष अंतर्राष्ट्रीय कवि विष्णु सक्सेना एवं संयोजक सर्वेश अस्थाना के दिशा निर्देशन में जिले के वरिष्ठ साहित्यकार यज्ञदत्त त्रिपाठी की अध्यक्षता में अनुज भदैरिया के आवास पर हुई काव्य गोष्ठी में तमाम कवि और शायरों की मौजूदगी में जिला कमेटी की घोषणा की l

जनपद जालौन साहित्य सभा के संयोजक शफीकुर्रहमान कश्फी ने की जिसमें अध्यक्ष अनुज भदौरिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सिद्धार्थ त्रिपाठी, उपाध्यक्ष प्रिया श्रीवास्तव, सचिव दिव्यम, महासचिव संजीव सरस, कोंच कोषाध्यक्ष राघवेन्द्र कनकने, सहसचिव अभिषेक श्रीवास्तव, सरल संगठन मंत्री शिखा गर्ग, प्रचार मंत्री दिव्यांशु दिव्य और सदस्य मिर्जा साबिर बेग, विमला तिवारी, इंदु, विवेक को बनाया साथ में 11 सदस्यीय संरक्षक मंडल भी घोषित किया जिसमें जिले के वरिष्ठ साहित्यकार समाजसेवी डॉक्टर शामिल किए गये।

काव्य गोष्ठी की शुरूआत शफीकुर्रहमान कश्फी के संचालन में शिखा गर्ग की सरस्वती वंदना और बेगम अख्तर पुरस्कार से सम्मानित मिर्जा साबिर बेग की नातेपाक से हुई जिसमें युवा शायर फराज ने पढ़ा, शरीफ आदमी से जमाना है लेकिन, शरीफ आदमी का जमाना नहीं है फिर जिला प्रोवेशन अधिकारी अमरेंद्र जी ने पढ़ा, समय के साथ बदला है बहुत कुछ, सफेदी बाल की कहती है कुछ कुछ खूब तालियाँ बटोरीं प्रिया श्रीवास्तव दिव्यम ने पढ़ा, सदा चेहरे पे खुशियों से भरी मुस्कान हो हरदम,मिले खुशियां जमाने की सफर आसान हो हरदम, संयोजक मशहूर शायर कशफी ने पढ़ा, प्यार का रास्ता तलाश करो, नफरतों की दवा तलाश करो, उलझनें तो सुलझ ही जायेंगीं, गुत्थियों का सिरा तलाश करो, सुन लोग वाह वाह कर उठे फिर कृपालु ने पढ़ा,जिन्दगी सीने में फिर से भींच लेना चाहता हूं,मौत के जबड़े से जीवन खींच लेना चाहता हूँ। सिद्धार्थ त्रिपाठी ने पढ़ा, गत वर्ष छोटों बड़ों के बीच बढ़ती खाई है।

गत वर्ष की ही भांति सबको नववर्ष की बधाई है। हास्यव्यंग के शायर असरार मुकरी ने पढ़ा अल्लाह रक्खे सेठ की बीवी को खैर से, खर्चा उसी के माल से चलता है आजकल सुन खूब ठहाके लगे। जावेद कसीम ने पढ़ा,फिक्र भी अब क्या करें तेजाब की ,बारिशें ही तो हो रहीं तेजाब की। इस दौरान अनुज भदौरिया, राघवेन्द्र कनकने, परवेज अख्तर, शिखा गर्ग, अभिषेक सरल, दिव्यांशु दिव्य ने भी काव्यपाठ कर खूब तालियां बटोरीं। अंत मंे वरिष्ठ साहित्यकार यज्ञदत्त त्रिपाठी ने अपनी रचना पढ़ते हुये कहा है यही कारण कि जग में यह नियम सबको विदित है, प्रेम, परिणय, मित्रता, सम, शक्ति वालों में उचित है पढ़कर सभी नवनियुक्त साहित्य सभा के पदाधिकारियों को मुबारकबाद दी। इस दौरान शहर के तमाम गण्यमान्य लोग मौजूद रहे।

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