शिवराज के सिपहसालार और मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के लिए चुनावी नतीजे चिंताभरी खबर लेकर आ रहे हैं। दतिया उम्मीदवार मिश्रा छह हजार से ज्यादा वोटों से पीछे चल रहे हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार भारती राजेंद्र, नरोत्तम मिश्रा से आगे चल रहे हैं।
अपने बयानों के लिए चर्चित नरोत्तम मिश्रा चुनावों से पहले आत्मविश्वास से लबरेज़ थे। मध्य प्रदेश में पार्टी का प्रदर्शन तो लाजवाब दिख रहा है। बीजेपी बहुमत से बहुत आगे है। लेकिन दतिया सीट का ट्रेंड अगर दो-एक घंटे में नहीं बदला को नरोत्तम मिश्रा जरूर मुश्किल में होंगे।
पिछले दो सालों में नरोत्तम मिश्रा टीवी खूब नज़र आए। कभी पठान को बैन करने की धमकी दी तो कभी तो कभी सब्यसांची के विज्ञापन को 24 घंटे में वापस लेने का अल्टीमेटम दिया। उन्होंने अपने बयानों से खूब सुर्खियां बटोरी। चर्चा में बने रहे। राजनीतिक हल्कों में ये चर्चाएं भी चलीं कि नरोत्तम मिश्रा तो मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी हो सकते हैं। फिलहाल मुख्यमंत्री पद तो दूर की कौड़ी है, नरोत्तम अपनी ही सीट पर पिछड़ते नज़र आ रहे हैं।
नरोत्तम मिश्रा मध्यप्रदेश विधानसभा में 6 बार विधायक चुनकर पहुंच चुके हैं। पिछले तीन बार से वो दतिया सीट से MLA बने। 2005 में बाबूलाल गौड़ की सरकार में पहली बार मंत्री बनने का अवसर मिला। उन्हें विधि और विधायी कार्य, संसदीय कार्य, सहकारिता विभाग में राज्य मंत्री बनाया गया। जैसे-जैसे राजनीति में उनका समय बीता कद बढ़ता गया। अगल-अलग मंत्रालयों का जिम्मा मिलता गया। कैबिनेट का दर्जा भी मिला।
2018 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने सरकार बनाई। लेकिन 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी तोड़कर विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। शिवराज एक बार फिर मुख्यमंत्री बने और इस बार नरोत्तम मिश्रा को गृह मंत्रालय का जिम्मा मिला। तब से नरोत्तम को सरकार में नंबर दो की पोज़िशन पर माना जा रहा था।